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कामदा एकादशी व्रतकथा जिसे सुनने मात्र से मिलता है वजपेय यज्ञ करने जितना फल.

कामदा एकादशी व्रतकथा जिसे सुनने मात्र से मिलता है वजपेय यज्ञ करने जितना फल.

इस वर्ष का कामदा एकादशी कल यानी 19 अप्रेल 2024 को है. और इस दिन बहुत ही शुभ योग बनने जा रहे हैं,इसलिए जो भी भक्त इस बार कामदा एकादशी का व्रत रखेगा और पूरे विधि-विधान से पूजा एवं कामदा एकादशी व्रतकथा का पाठ करेगा उसे पूर्ण फल की प्राप्ति होगी।

मुख्य बिन्दु:

1. कामदा एकादशी 2024 में बन रहे हैं शुभ योग

2. कामदा एकादशी व्रतकथा

3. कामदा एकादशी व्रत 2024 के मुहूर्त और पारण का समय.

कामदा एकादशी 2024 में बन रहे हैं शुभ योग :

इस बार कामदा एकादशी के दिन रवि योग,वृद्धि योग और ध्रुव योग बन रहे हैं, और मान्यताओं के अनुसार रवि योग में कामदा एकादशी व्रत की पूजा करना अत्यंत लाभदाई माना गया है। इस योग में सभी प्रकार के दोष नष्ट हो जाते हैं। इसके साथ ही इस बार उसी समय मघा नक्षत्र भी होगा। इसलिए इस बार कामदा एकादशी व्रत पूजा करते समय कामदा एकादशी व्रतकथा अवश्य पढें जिससे इसके महत्व के बारे में आपको अच्छे से पता चलेगा और साथ ही इसका पूर्ण फल भी प्राप्त होगा।

कामदा एकादशी व्रतकथा :

कामदा एकादशी व्रतकथा की कहानी भगवान श्री कृष्ण और धर्मराज युधिष्ठिर से जुड़ी हुई है।
एक बार पांडवों के बड़े भाई धर्मराज युधिष्ठिर नें भगवान श्री कृष्ण से चैत्र शुक्ल एकादशी की महिमा का वर्णन करने का अनुरोध किया। तब श्री कृष्ण जी नें कहा कि “चैत्र शुक्ल एकादशी का ‘कामदा एकादशी’ के नाम से भी जाना जाता है,और आगे कहा कि एक बार राजा दिलीप नें ऋषि वशिष्ठ से भी यही सवाल किया था. तो जो वशिष्ट जी नें राजा दिलीप से जो बताया था, वही आपसे कहता हुँ”। ऐसा कहकर भगवान श्री कृष्ण जी नें कथा कहना प्रारंभ किया।

उन्होनें बताया कि- भोगीपुर में पुण्डरीक नाम का एक राजा राज्य करता था, और उसके राज्य में गंधर्व,अप्सराएं और किन्नर रहते थे. एवं उसी राज्य में ललित और ललिता नाम के स्त्री और पुरुष रहते थे. ललित राजा पुण्डरीक के यहाँ अप्सराओं के साथ गाना गया करता था. एक बार जब वह सभा में गन्धर्वों के साथ मिलकर गाना गा रहा था तभी उसकी नजर ललिता पर पड़ी और वह ललिता को देखता ही रह गया जिससे उसका ध्यान गाने से भंग होगाया और उसका स्वर बिगड़ गया जिससे उसका गाना भी खराब हो गया।

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सभा में बैठे राजा पुण्डरीक यह घटना देख रहे थे और उन्हें गुस्सा आ गया, और उन्होनें ललित को राक्षस बनकर अपराध को भोगने का श्राप दे दिया. इस श्राप का प्रभाव पड़ते ही ललित राक्षस में बदल गया और कष्ट भोगने लगा। इस घटना के बारे में जब ललिता को पता चल तो वह काफी दुखी हो गई और ‘ऋषि शृंगी’ के पास जाकर अपनी सम्पूर्ण व्यथा को सुनाया।

इस व्यथा को सुनकर ‘ऋषि शृंगी’ नें ललिता से कहा कि तुम परेशान न हो, चैत्र शुक्ल की एकादशी आने वाली है. तुम कामदा एकादशी का व्रत रखो और उससे मिलने वाले पुण्य को अपने पति को दे दो. जिससे वह राक्षस योनि से मुक्त हो जायेगा और राजा का श्राप भी प्रभावहीन हो जायेगा।

‘ऋषि शृंगी’ की इस बात को स्वीकार करके ललिता नें कामदा एकादशी का व्रत रखा और पूरे विधि-विधान से भगवान श्री विष्णु जी की पूजा-अर्चना की। इसके अगले दिन अर्थात द्वादशी के दिन ललिता नें भगवान श्री विष्णु जी से प्रार्थना की और कहा कि इस व्रत से मिलने वाले फल उसके पति को प्राप्त हो जाए और वह राक्षस योनि से मुक्त हो जाए. भगवान श्री विष्णु जी नें ललिता की प्रार्थना को स्वीकार करते हुए उसके पति को राक्षस योनि से मुक्त कर दिया।

वशिष्ठ मुनि नें राजा दिलीप से कहा था कि “जो भी भक्त पूरी श्रद्धा के साथ इस व्रत को करता है, वह सम्पूर्ण पापों से मुक्त हो जाता है। इस व्रतकथा को केवल पढ़ने या सुनने मात्र से ही “वजपेय यज्ञ” करने जितना फल मिलता है।

कामदा एकादशी व्रत 2024 के मुहूर्त और पारण का समय:

कामदा एकादशी व्रतकथा जिसे सुनने मात्र से मिलता है वजपेय यज्ञ करने जितना फल.

1. कामदा एकादशी व्रत 2024 का प्रारंभ एवं समापन:

चैत्र शुक्ल एकादशी (कामदा एकादशी) 2024 18 अप्रेल 2024 दिन गुरुवार को 5:31 PM से प्रारंभ होगी और 19 अप्रेल 2024 दिन शुक्रवार को 08:04 PM को समाप्त हो जाएगी।

2. दिन का मुहूर्त :

दोपहर के 11:54 से 12:46 AM तक रहेगा।

3. रवी योग:

सुबह के 05:51 से 10:57 तक

4. वृद्धि योग:

वृद्धि योग प्रातःकाल से देर रात 01:45 तक रहेगा और इसके बाद ध्रुव योग लग जायेगा।

5. मघा नक्षत्र:

प्रातःकाल से सुबह के 10:57 तक रहेगा और इसके बाद पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र लग जायेगा।

6. कामदा एकादशी का पारण:

कामदा एकादशी के व्रत पारण का समय 20 अप्रेल को सुबह के 05:50 से 08:26 AM तक है।

पं. हीरामणि तिवारी

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